Thursday, August 11, 2011

Ranjiti.............me ......Netao ki........kali....................


बाबा पीर की जय
जब भी मनुश्य के दिल में दर्द होता है। तो कविता का जन्म होता है। या दिल अत्यधिक हर्शित होता है। तो कुछ लिखने का मन करता है। मानव मस्तिश्क में विभिन्न कलाएं छिपी होती हैं। पर उनको निकालने का तरीका मालूम नहीं होता है। कोई न कोई तरीका निकालकर उनको उजागर करता रहता है। या तो लोगों को हंसाकर, या लोगों को रूलाकर मनुश्य अपने कला के रंग बिखेरता रहाता हैं। जो मनुश्य अपनी कला को छिपाए रखता है वह अपनी कला को उजागर ही नहीं कर पाता है तो वो भी अपने भावों को किसी अन्य माध्यम से निकालता है। या तो अकेला सीसे के सामने अपनी बातों केा कहता होगा।
पर कला निकालने का तरीका हर किसी के पास नहीं होता। उसके बारे में या तो किसी षिक्षाविद् से सलाह लेनी पड़ती है।
पर कई समस्याएं सीने में घर कर जाती हैं। वे समस्याएं जो एक हंसते-खेलते परिवार को मातम में बदल जाती हैं। ये राजनीतिक पार्टियां बड़़ी-बड़ी जनसभाएं करती हैं। हजारों लोगों को भीड़ दिखाई जाती हैं। लेकिन कई बार वहां पर अफवाह फैलने पर भगदड़ मचने पर हजारों निर्दोस लोग मारे जाते हैं। रैलियों में आते समय दुर्घटनाएं होना आम बात हो गयाी है। पर ये सफेदपोस उसके परिवारवालों को दो या तीन लाख रूप्ये देकर सांत्वना देते हैं। क्या किसी बहन के जवान भाई की, मां के दुलारे बेटे की, पिता के बुढ़ापे का सहारे की कीमत तीन या चार लाख रूप्ये है। उनका घर से एक सदस्य कम हो गया। और ये सफेद पोस अपना मतलब निकालने के लिए उनके घर वालों को तीन लाख रूप्ये देकर खुष करने पर लगे होते हैं। इन नेताओं की ऐसी गंदी राजनीति पर धिक्कार है। पर इनको इससे कोई लेना-देना नहीं है। चुनाव के समय में रातों की नीदों को त्याग देते हैं, जनता के सामने लोक-लुभावना व्यवहार करके, ऐसे वादे करके जिनके पैर ही नहीं होेते। चुनाव जीतकर रफूचक्कर हो जाते हैं। चुनाव जीतने के बाद केार्इ्र वादा याद नहीं रहता क्योंकि एक लाल बत्ती वाली कार और नौकर, उन्हीं में सिमट कर रह जाते हैं।
लेकिन सोचने की बात यह है इन लोगों को कुर्सी पर बैठाने वाले कौन हैं वो हम ही तो हैं जो सिर्फ अपने भले की सोचकर ऐसे देषद्रोहियों को गदी पर बैठा देते हैं। जो कभी स्कूल में नहीं गया वो ही लोग संसद में कुर्सियों पर विराजमान होते हैं। देष की गदी की बेइज्जती करते है। ऐसे नेताओं को काल कोठरियों में डाल देना चाहिए। आम आमनी को अपनी समझदारी से बढ़िया नेता का चुनाव करके देष की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचाना चाहिए। तभी देष का भला हो सकता है। और देष का भविश्य उज्ज्वल हो सकता है।।

No comments: